नीम करोली बाबा का समाधी स्थल कहाँ है, क्यों है विश्व प्रसिद्द, कैसे हुई मृत्यु, सब जाने।
वृन्दावन आश्रम (समाधि स्थल) का इतिहास –
वृन्दावन में ही महाराज जी ने 1973 में अपना शरीर त्यागने का निर्णय लिया था। नीम करोली बाबा वृन्दावन आश्रम उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाके में कृष्ण के पवित्र शहर वृन्दावन में स्थित है। पहले मंदिर का उद्घाटन 1967 में हुआ था। यह आश्रम मथुरा रोड से कुछ ही दूरी पर परिक्रमा मार्ग पर है।
इस आश्रम के भीतर नीम करोली बाबा (नीब करोरी बाबा) का महासमाधि मंदिर है। यह हर साल सितंबर में महाराज जी के महासमाधि भंडारे का स्थान है। इस आश्रम में हनुमानजी मंदिर, दुर्गा देवी मंदिर, सीता राम मंदिर, शिवाजी युगशाला मंदिर और महाराज जी का महासमाधि मंदिर हैं। नीम करोली बाबा जी के वृन्दावन आश्रम में साल के कई महीनों में सुन्दर बगीचे होते हैं।
कुछ पश्चिमी लोगों को इस आश्रम में रहने की अनुमति है। यदि आप आश्रम में रहना चाहते हैं तो एक परिचय पत्र और आश्रम से पूर्व व्यवस्था करना आवश्यक है।
नीम करोली बाबा का समाधी स्थल कहाँ है?
महाराज का समाधी स्थल वृन्दावन में परिक्रमा मार्ग के निकट ही स्थित है, यह स्थल अत्यधिक शांत है। यहाँ उनके उपदेशो तथा संदेशो को एक विशेष स्थल पर रखा गया है जिन्हें आप वहां जाकर देख सकते है, वहां उनकी समाधी बनायीं गयी है, उस कक्ष में आप शंतिप्र्वक ध्यान लगा सकते है। इस आश्रम में महाराज जी का मंदिर भी बनाया गया है। हनुमान मंदिर भी इसी आश्रम में उपस्थित है, एक अनोखी प्रकार की शांति आप इस आश्रम में महसूस करेंगे।
नीम करोली बाबा क्यों प्रसिद्ध है?
मान्यताओं के अनुसार यदि माने तो, लोग नीम करोली बाबा को कलयुग में उनको साक्षात भगवान हनुमान के रूप में दखते थे वहीं लोग उन्हें भगवान हनुमान का अवतार भी मानते थे।
- नीम करोली बाबा का बचपन का नाम – लक्ष्मण नारायण शर्मा
- संत बनने के नाद उन्हें – लक्ष्मण दास, नीम करोली बाबा, तिकोनिया वाले बाबा तथा तलईया बाबा नामों से लोग जानते थे।
नीम करोली बाबा की मृत्यु कैसे हुई?
आपको बता दें की नीम करोली बाबा की प्राकृतिक मृत्यु नहीं हुई थी। नीम करोली बाबा की मृत्यु 11 सितंबर, 1973 को लगभग 1:15 बजे वृंदावन के एक अस्पताल में हुई।
मृत्यु का कारण – मधुमेह के कारण कोमा में चले जाने के कारण महाराज की मृत्यु हो गयी। बाते आजाता है की वे आगरा से नैनीताल के पास कैंची के लिए रात की ट्रेन से सफ़र कर रहे थे। जहाँ उन्हें सीने में दर्द महसूस हुआ, जिस कारण से वे हृदय रोग विशेषज्ञ के पास गए थे।
नीम करोली बाबा के कितने बच्चे थे?
बाबा को दो पुत्र तथा एक पुत्री प्राप्त थी। लेकिन उन्होंने 1958 में फिर से गृह त्याग कर दिया और अनेक स्थानों पर भ्रमण करते हुए कैंची धाम पहुंच गए, बाबा ने सन 1964 में कैंची धाम आश्रम की स्थापना की थी।
क्या स्टीव जॉब्स नीम करोली बाबा से मिले थे?
वैसे तो इन्टरनेट पर तथा हमारे आस पास ही स्टीव जॉब्स को लेकर बाबा से मिलने के पीछे अनेक सच – झूठ अफवाह आदि सुनने को मिल ही जाती है। किन्तु आपको बता दें की स्टीव जॉब्स अपने एक मित्र डैन कॉटके नाम के व्यक्ति के साथ अप्रैल 1974 में हिंदू धर्म तथा भारतीय आध्यात्मिकता, सभ्यता और संस्कृति का अध्ययन करने के लिए भारत आए हुए थे। आपको बता दें की स्टीव जॉब्स ने नीम करोली बाबा से मिलना भी निश्चित किया था, लेकिन जब वे वहां पहुंचे तो पाया कि महाराज जी की पिछले सितंबर में ही मृत्यु हो चुकी थी। स्टीव जॉब्स महाराज जी से अत्यधिक प्रभावित थे।
कैंची धाम क्यों प्रसिद्ध है?
कैंची धाम भारत के साथ साथ विश्व प्रसिद्द है। लेकिन इस आश्रम का विश्व प्रसिद्द होने के पीछे कारण क्या है? आश्रम में एप्पल कंपनी के संस्थापक सीईओ स्टीव जॉब्स तथा फेसबुक के चेयरमैन मार्क जुकरबर्ग की यात्रा के कारण मान्यता प्राप्त हुई है। कैंची धाम में समय समय पर ध्यान कार्यक्रम और आध्यात्मिक शिविर आदि का आयोजन किया जाता है, आपको बता दें की जिनमें दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं। कैंची धाम में हर साल 15 जून को एक मेला आयोजित किया जाता है इस मेले में भी अधिक संख्या में लोग भाग लेते है।
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NEWS अखबारी :- Rahul Gautam is an Indian Journalist and Media personality. He is the founder of the News अखबारी, he loves photography and designing.
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