बद्रीनाथ पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने kedarnath Temple में 2022 में सोना चढ़ाने के विवाद पर आरोप लगाया है कि kedarnath temple gold scam मामले में कोई जांच नहीं हुई है और 228 किलोग्राम सोने का घोटाला हुआ है। अविमुक्तेश्वरानंद ने सोमवार को मीडिया के एक वर्ग से बात करते हुए आरोप लगाया कि – “एक सोने का घोटाला हुआ है, आप सभी पत्रकार इस मुद्दे को क्यों नहीं उठाते है? सोने का घोटाला हुआ और अब वे दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बनाना चाहते है। इस प्रकार तो और भी घोटाले होंगे। Kedarnath temple से 228 किलोग्राम सोना गायब हो गया। मीडिया इस मुद्दे को क्यों नहीं उठाता? आज तक कोई जांच का आदेश नहीं दिया गया है”।
Kedarnath Temple की दीवारो से हुआ है सोना ग़ायब (Kedarnath Temple Gold Scam) –
आपको बता दें कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों से सोना गायब होने की खबर है। Kedarnath Temple Gold Scam मामले के खिलाफ तेज़ी से वायरल हो रहे वीडियो जिसमे अविमुक्तेश्वरानंद (Avimukteshwaranand) की टिप्पणी ने 2023 में हुए सोने के घोटाले के विवाद को एक बार फिर चर्चा का विषय बना दिया है। Kedarnath में स्थानीय पुजारी और पुरोहित लगातार सोने के घोटाले का मुद्दा उठा रहे हैं, क्योंकि यह सत्य है कि गर्भगृह के अंदर की गई 200 किलोग्राम से अधिक सोने की परत दीवारो से गायब हो गई थी, क्योंकि देखने पर दीवार का एक हिस्सा एक बड़े क्षेत्र में कालिख से जला हुआ पाया गया था जो की सामान्य नहीं है। राज्य सरकार सोने के घोटाले पर सफाई देने में विफल रही है सरकार के पास इस विषय पर बोलने के लिये कोई ठोस बात नहीं है। शंकराचार्य द्वारा उठायी गई इस आवाज़ के पीछे बहुत लोग उनका समर्थन कर रहे है। लोगो को उम्मीद है कि शंकराचार्य द्वारा उठाई गई आवाज से सरकार प्रभावित होगी तथा कुछ निर्णय लेगी।
क्या सत्य क्या असत्य – ( Kedarnath Temple Gold Scam)
इसमें किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं है कि Kedarnath temple मंदिर के गर्भगृह से 228 Kg सोना गायब हो गया था। मंदिर समिति ने दानकर्ता व्यवसायी द्वारा उसे प्रदान की गई सोने की प्लेटों की रसीद जारी की थी, ”स्थानीय पुजारी निकाय केदार सभा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी विनोद शुक्ला ने स्टेट्समैन को बताया। गर्भगृह की चार दीवारों पर सोना चढ़ाने का काम 2022 में मुंबई के एक व्यवसायी ने किया था। यह संपूर्ण प्रक्रिया भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक विशेष टीम की उपस्थिति में की गई थी। हालाँकि, बद्री-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेयंद्र अजय ने आरोपों से इनकार किया था और दावा किया था कि सोना चढ़ाने की सही मात्रा वह नहीं है जो बताई जा रही है वास्तव में सोना की कम मात्रा चढ़ाई गई थी जिसका वजन 220 किलोग्राम से भी कम था। हर कहानी के दो पहलू होते है उसी प्रकार यहाँ भी दो मेटो के लोग है। Kedarnath temple में कई स्थानीय पंडों ने सोना चढ़ाने का विरोध किया था, जिन्होंने दावा किया था कि यह मंदिर तपस्या और मोक्ष के निवास के रूप में जाना जाता है, और सनातन परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार मुक्तिधाम के रूप में माना जाता है। स्थानीय पंडों के अनुसार, ”केदारनाथ मंदिर मोक्ष का स्थान होने के कारण, मंदिर में सोना चढ़ाना आवश्यक नहीं था क्योंकि इसे सांसारिक चमक-दमक माना जाता है और सजावट भगवान शिव को स्वीकार्य नहीं है।
बयानों की वजह से चर्चा में रहते है बद्रीनाथ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती –
बद्रीनाथ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती समय-समय पर अपने बयानों से विवाद खड़ा करने के लिए चर्चा में रहते है। वह 22 जनवरी को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक के खिलाफ भी प्रमुख वक्ताओं में से एक थे क्योंकि मंदिर की संरचना अभी भी निर्माणाधीन थी। उस विषय को भी बड़ा बनाने वाले यही थे।
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