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Teej Festival ; तीज त्यौहार मनाने का तरीक़ा, महत्व, कारण और समय। जानें ये 6 important Points

1. Teej Festival कब मनाया जाता है –

चंद्रमा चक्र निर्धारित करता है कि हर साल किस समय तीज का त्योहार मनाया जायेगा। Teej Festival प्रतिवर्ष भारत में सावन के महीने या कहे कि मानसून के समय मनाया जाता है। इस समय जुलाई अगस्त का महीना होता है।

2. Teej Festival कहाँ मनाया जाता है –

तीज का त्यौहार कई राज्यों में मनाया जाता है, हालाँकि हरियाणा में ही यह त्यौहार सार्वजनिक अवकाश के रूप में होता है। यह राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में मनाया जाता है। Jaipur, जो की राजस्थान की राजधानी है, तीज के त्यौहार के लिए प्रसिद्ध है।

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3. Teej festival का महत्व –

Teej Festival पार्वती जी और शिव जी के बीच संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है। तीज का त्यौहार पार्वती जी के उनके पति के लिए अटूट समर्पण की याद दिलाता है। तीज न केवल एक मजबूत विवाह या पति पत्नी के रिश्ते पर केंद्रित है, बल्कि यह बच्चों की सुख समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य पर भी केंद्रित है।

4. Teej Festival कैसे मनाते है –

तीज का त्यौहार महिलाओं का त्यौहार है। तीज के अवसर पर महिलाएं शृंगार करती है तथा साथ ही सुंदर व आकर्षित करने वाली पौशाके धारण करती है। इस त्यौहार के दौरान वे अक्सर अपने हाथों पर मेंहदी भी बनती है। महिलाओं द्वारा त्यौहार से जुड़े अनेक गीत गाये जाते है। जैसा कि सावन के दौरान किया ही जाता है कि महिलायें पेड़ो पर झूला झूलती है। यह भी तीज के त्योहार का भाग है। स्वादिष्ट पकवान बनाये जाते है, घेवर खाये जाते है। और व्रत भी किया जाता है।

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5. Jaipur Teej Festival –

jaipur तीज के इस रंगीन महोत्सव के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इस त्यौहार में राजस्थान की संस्कृति की एक रंगीन और मनमोहक छवि आपको Jaipur Teej Festival में देखने को मिलेगी।
जयपुर के शाही परिवार द्वारा तीज माता की खूबसूरत प्रतिमा की विशेष पूजा करने के बाद जयपुर शहर में तीज माता की प्रतिमा को ले ज़ाया जाता है तथा ये मानो की उनके साथ ही राजस्थान की सारी संस्कृति चलती है। ऐसा इसलिए क्योकि तीज माता के साथ उस रास्ते पर राजस्थान की संस्कृति से जुड़ी गतिविधिया, घुमड़ नृत्य, शाही बैंड, बहरूपिया, राजस्थानी पहनावे वाले विशेष लोग, राजस्थान की रंगीन पौषाक, विशेष नृत्य जैसी राजस्थान संस्कृति से भारी हुई गतिविधिया देखने को मिलती है।

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6. हिंदू पौराणिक कथा –

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सती के आत्मदाह के बाद शिव दुखी हो गए और ध्यान की अवस्था में चले गए। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को ध्यान की अवस्था से बाहर लाने के लिए सती को 108 बार जन्म लेना पड़ा। जयपुर तीज उत्सव का केंद्र रहा है।

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