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Atul subhash suicide; सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष का आत्महत्या से पहले का विडियो वायरल, पत्नी और क़ानून व्यवस्था से उत्पीडित थे। atul subhash suicide

atul subhash suicide case

उत्पीड़न और उगाही से तंग आकर अतुल सुभाष ने की आत्महत्या! बेंगलुरु के सॉफ्टवेयर इंजीनियर Atul subhash का आत्महत्या से पहले का विडियो वायरल! पत्नी, ससुराल और न्यायाधीश पर उत्पीड़न और उगाही के गंभीर आरोप लगाए। अपने अंतिम क्षणों में भी सुभाष खुद को दुनिया और अपनों द्वारा बस एक बार ठीक से सुने जाने का जतन करता रहा है।

1.5 घंटे का वीडियो
24 पेज का सुसाइड नोट

Atul subhash suicide –

atul subhash suicide – कितनी यातना और भावनात्मक दर्द से गुजरा होगा। न्याय व्यवस्था और जीवन साथी की यातना से तंग आकर उसने आत्महत्या का रास्ता चुना। न्यायिक प्रणाली और जीवन साथी। दोनों ही इंसान के जीवन में शक्ति , सांत्वना और न्याय के स्रोत हैं, लेकिन अतुल सुभाष के मामले में, वे उसे बेहद निराश कर गए। इतना निराश कि उसने भावशून्य अंत का रास्ता चुना। घटिया कानून के कारण एक और परिवार बर्बाद हो गया झूठी शिकायत, झूठी FIR, झूठी गवाही, झूठी जाँच, झूठा मुकदमा और झूठा हलफनामा दाखिल करने को गंभीर अपराध कब घोषित किया जाएगा? झूठ पकड़ने के लिए नार्को पॉलीग्राफ ब्रेनमैपिंग कानून कब बनेगा?

अतुल सुभाष नामक एक युवक ने आत्महत्या करके अपनी जान गँवा दी।

– उसकी लालची पत्नी को हर महीने 40,000 रुपए गुजारा भत्ता मिल रहा था,
– जबकि वह एक्सेंचर में काम करती थी और खुद पैसे कमाती थी।
– वह बच्चे के नाम पर हर महीने 2 लाख रुपए चाहती थी।
– उसकी पत्नी ने उससे कहा कि वह खुद को मिटा दे।
– कोर्ट के जज ने उस पर हंसा।

क्या उसकी पत्नी को कभी atul subhash suicide case में कोई सज़ा मिलेगी? भारत में कानून कभी बदलेंगे?

अगर मुझे न्याय नहीं मिला तो मेरी राख को कोर्ट के बाहर फेंक देना।

मैं जो पैसा कमा रहा हूँ उसका इस्तेमाल मेरे दुश्मन को मजबूत बनाने के लिए किया जा रहा है।
मेरे टैक्स से ये कोर्ट और पुलिस सिस्टम चल रहा है और वही सिस्टम मुझे परेशान कर रहा है।

मेरी आखिरी इच्छा है कि मेरे अपने बच्चे को अपने माता-पिता को दे दिया जाए।

atul subhash के परिवार का दुःख और शब्दों में उस दर्द को बयां नहीं कर सकता जो उन्होंने इतने सालों तक झूठे मामलों और उनकी पत्नी द्वारा उत्पीड़न के कारण झेला है। आज उन्होंने सब कुछ खो दिया है। काश इस देश में पुरुषों के लिए भी कुछ कानून होते! दुखद… बस दुखद।

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