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बच्चों में फेल रहा Chandipura Virus, गुजरात में 14 और राजस्थान में 2 मौतें। 18 death due to chandipura virus

पिछले कुछ ही दिनों में, राजस्थान के Dungarpur जिले में Chandipura Virus से संक्रमित होने के बाद चार बच्चों की हुई मौत।

Jaipur: राजस्थान के डूंगरपुर जिले में Chandipura virus से चार बच्चों की मौत की घटना के बाद, राज्य स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है, क्योंकि राज्य में इनके अलावा 2 और मामले देखने को मिले है।

Chandipura Virus के लक्षण तथा बचाव –

अधिकारियों ने बताया कि दो और बच्चों – एक चार साल की लड़की और तीन साल के लड़के – को Chandipura Virus से संक्रमित होने का संदेह ज़ाहिर किया हा रहा है, तथा बचो को Dungarpur के सरकारी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। बचो को उल्टी और दस्त सहित घातक Virus के लक्षणों के बाद भर्ती कराया गया था। Dungarpur के चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अलंकार गुप्ता ने बताया कि डॉक्टरों और नर्सों की टीम रामसोर तथा बाल्दिया गांवों में भेजी गई है। यह टीम घर-घर जाकर बच्चों की जांच करेगी। डॉ. ने कहा, “यदि किसी बच्चे को बुखार, उल्टी तथा दस्त जैसे लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत अस्पताल में भर्ती करे। चांदीपुरा वायरस के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, ऐंठन और बेहोशी शामिल हैं।

कितनी उम्र के बच्चे हो रहे है संक्रमित ? –

जिन भी बच्चों की चाँदीपुर वायरस के कारण मौत हुई है, उनकी उम्र 2-14 साल के बीच बतायी जा रही है Dungarpur अस्पताल में बाल रोग वार्ड के डॉ नीलेश ने बताया, “दोनों बच्चों में Chandipura Virus के लक्षण थे। हमारे द्वारा नमूने लिए गये और उन्हें उदयपुर भेजा गया। वहाँ से नमूने पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजे गए हैं। लैब रिपोर्ट में यह पुष्टि होगी कि बच्चे चांदीपुरा वायरस से संक्रमित हैं या नहीं। यह स्पष्ट रूप से 15 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है।

Chandipura Virus का नाम महाराष्ट्र के चांदीपुरा के नाम पर रखा गया है। वहाँ इस वायरस का पहली बार 1966 में पता चला था। यह वायरस तब सुर्खियों में आया जब इस वायरस से केवल पिछले दो ही हफ्तों में गुजरात में 14 बच्चों की जान जाने का संदेह था, और जबकि 29 लोगों के संक्रमित होने का संदेह था।

संक्रमित होने का कारण / रोगवाहक –

गंभीर मामलों में यह कोमा और मृत्यु तक जा सकता है।
लक्षणों के लिए अब तक कुल 18,000 से अधिक लोगों की जांच हो चुकी है। यह वायरस मच्छरों, किलनी व रेत मक्खियों द्वारा फैलता है।

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